Monday, 9 April 2018

आपको राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात के हाइवे पर तमाम ऐसे होटल मिलेंगे जिनका नाम भाग्योदय, सर्वोदय,अलंकार,तुलसी,सर्वोत्तम आदि हिन्दू नाम वाला होगा |

आपको राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात के हाइवे पर तमाम ऐसे होटल मिलेंगे जिनका नाम भाग्योदय, सर्वोदय,अलंकार,तुलसी,सर्वोत्तम आदि हिन्दू नाम वाला होगा | लेकिन इन होटलों की चेन जिसमे हजारो होटल है उन्हें गुजरात के बनासकांठा के रहने वाले "चेलिया मुस्लिम" चलाते है ।
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इन होटलों में एक भी हिन्दू को नौकरी नही दी जाती.. चेलिया ग्रुप ऑफ़ होटल्स का हेड ऑफिस अहमदाबाद में है । इनका पूरा खरीद सेंट्रलाइज्ड होता है । ये डाइरेक्ट कोल्डड्रिंक, नमकीन आदि बनाने वाली कम्पनीज के साथ बल्क में डील करते है,.. फिर उसे हर एक होटल में सप्लाई करते है । जहाँ तक सम्भव हो ये खरीदारी मुस्लिम से ही करते है । इनके होटल्स में इनवर्टर, बैटरी, आरओ आदि सप्लाई करने वाला भी मुस्लिम ही होता है ।
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चूँकि ये अपने होटलों का नाम हिन्दू नाम जैसा रखते है और "ओनली वेज" लिखते है । और इनके होटल साफ सुथरे दिखते है .. इसलिए हिन्दू इनके होटलों के तरफ आकर्षित होते है । इनका ये मानना है की हिन्दुओ से पैसा निकालो और उसे मुस्लिमो के बीच लाओ ।
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इनका पूरा बिजनस फ्रेंचाइजी माडल पर आधारित होता है । इनकी एक सहकारी कमेटी है जो अल्पसंख्यक आयोग में अल्पसंख्यक कमेटी के रूप में रजिस्टर्ड है .. इस कमेटी में देश विदेश के लाखो चेलिया मुस्लिम मेम्बर है और सब अपना अपना योगदान देते है । फिर ये हाइवे पर कोई अच्छा जगह देखकर उसे काफी ऊँची कीमत देकर खरीद लेते है । फिर उस होटल का एक खरीदी बिक्री का एकाउंट बनाते है.. और उस होटल को किसी चेलिया मुस्लिम को चलाने के लिए सौप देते है ।
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पुरे विश्व के चेलिया मुस्लिम सिर्फ मुहर्रम में अपने गाँव में इकठ्ठे होते है । फिर हर एक होटल के लाभ हानि का हिसाब करते है । इसलिए मुहर्रम के दौरान करीब २० दिनों तक गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान के हाइवे पर के 90% होटल्स बंद रहते है ।
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ये बसों के ड्राइवर को बेहद महंगे गिफ्ट देते है ताकि ड्राइवर इनके ही होटल पर बस रोके ।
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अहमदाबाद के सरखेज में इनका बहुत बड़ा सेंट्रलाइज्ड परचेज डिपो है । खुद का आलू प्याज आदि रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज है । ये सीजन पर सीधे किसानो से बेहद सस्ते दाम पर आलू प्याज अदरक आदि खरीद लेते है ।
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"इकोनोमिक्स टाइम्स अहमदाबाद" में छपे एक रिपोर्ट में इस चेलिया होटल्स की कुल पूंजी इस समय करीब 3000 करोड़ रूपये पहुंच चुकी है । और इनकी कुल परिसम्पत्तियों की कीमत इस समय 10,000 करोड़ रूपये होगी ।
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हिन्दुओ के जेब से पैसा निकालकर उसे मुसलमानों में बांटने का ये चेलिया ग्रुप्स ऑफ़ होटल्स बेहद खतरनाक मोडल है ।
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दुःख इस बात का है की अभी तक हिन्दू चेलिया मुस्लिमो के इस गंदे खेल को नही समझ सके और इनके होटलों में खाना खाकर इन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करते है... फिर ये पैसा आतंकियों को जाता है । इससे बड़ा खतरनाक ये है की ये किसी हिन्दू के होटल को चलने ही नही देते ।
🚩🌞हिन्दू जागरण🌞🚩
जागो हिंदुओ जागो ...


VERY IMMPRESIVE MUST READ IT .✍ बाहर  बारिश  हो  रही  थी, और अन्दर  क्लास  चल रही  थी.
तभी  टीचर  ने  बच्चों  से  पूछा - अगर तुम  सभी  को  100-100 रुपया  दिए जाए  तो  तुम  सब  क्या  क्या खरीदोगे ?

किसी  ने  कहा - मैं  वीडियो  गेम खरीदुंगा..

किसी  ने  कहा - मैं  क्रिकेट  का  बेट खरीदुंगा..

किसी  ने  कहा - मैं  अपने  लिए  प्यारी सी  गुड़िया  खरीदुंगी..

तो, किसी  ने  कहा - मैं  बहुत  सी चॉकलेट्स  खरीदुंगी..

एक  बच्चा  कुछ  सोचने  में  डुबा  हुआ  था 
टीचर  ने  उससे  पुछा - तुम 
क्या  सोच  रहे  हो, तुम  क्या खरीदोगे ?

बच्चा  बोला -टीचर  जी  मेरी  माँ  को थोड़ा  कम  दिखाई  देता  है  तो  मैं अपनी  माँ  के  लिए  एक  चश्मा खरीदूंगा !

टीचर  ने  पूछा  -  तुम्हारी  माँ  के  लिए चश्मा  तो  तुम्हारे  पापा  भी  खरीद सकते  है  तुम्हें  अपने  लिए  कुछ  नहीं खरीदना ?

बच्चे  ने  जो  जवाब  दिया  उससे टीचर  का  भी  गला  भर  आया !

बच्चे  ने  कहा -- मेरे  पापा  अब  इस दुनिया  में  नहीं  है 
मेरी  माँ  लोगों  के  कपड़े  सिलकर मुझे  पढ़ाती  है, और  कम  दिखाई  देने  की  वजह  से  वो  ठीक  से  कपड़े नहीं  सिल  पाती  है  इसीलिए  मैं  मेरी माँ  को  चश्मा  देना  चाहता  हुँ, ताकि मैं  अच्छे  से  पढ़  सकूँ  बड़ा  आदमी बन  सकूँ, और  माँ  को  सारे  सुख  दे सकूँ.!

टीचर -- बेटा  तेरी  सोच  ही  तेरी कमाई  है ! ये 100 रूपये  मेरे  वादे के अनुसार  और, ये 100 रूपये  और उधार  दे  रहा  हूँ। जब  कभी  कमाओ तो  लौटा  देना  और, मेरी  इच्छा  है, तू  इतना  बड़ा  आदमी  बने  कि  तेरे सर  पे  हाथ  फेरते  वक्त  मैं  धन्य  हो जाऊं !

20  वर्ष  बाद..........

बाहर  बारिश  हो  रही है, और अंदर क्लास चल रही है !

अचानक  स्कूल  के  आगे  जिला कलेक्टर  की  बत्ती  वाली  गाड़ी आकर  रूकती  है  स्कूल  स्टाफ चौकन्ना  हो  जाता  हैं !

स्कूल  में  सन्नाटा  छा  जाता  हैं !

मगर ये क्या ?

जिला  कलेक्टर  एक  वृद्ध  टीचर के पैरों  में  गिर  जाते  हैं, और  कहते हैं -- सर  मैं ....   उधार  के  100  रूपये  लौटाने  आया  हूँ !

पूरा  स्कूल  स्टॉफ  स्तब्ध !

वृद्ध  टीचर  झुके  हुए  नौजवान कलेक्टर  को उठाकर भुजाओं में कस लेता है, और रो  पड़ता  हैं !

दोस्तों --
मशहूर  होना, पर मगरूर  मत  बनना।
साधारण रहना, कमज़ोर  मत  बनना।

वक़्त  बदलते  देर  नहीं  लगती..

शहंशाह  को  फ़कीर, और  फ़क़ीर को शहंशाह  बनते,

देर  नही  लगती ....

यह छोटी सी कहानी आप  के साथ शेयर की है।
🙏🏻😊😊🙏🏻🙏🏻😊😊🙏🏻
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1 comment:

  1. झूठ मत फैलाओ हज़ारों हिन्दू भाई भी नोकरी करते है

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