Thursday, 3 May 2018

: ye padna dhyanse or apne relatives me b sbko bhej dena VERY IMPORTENT

: ye padna dhyanse or apne relatives me b sbko bhej dena
VERY IMPORTENT

सावधान...
   अगर आप कहीं बस या ट्रेन के सफ़र में हो और आपके पास कोई भिखारी आकर खाना मांगे तो आप  खाना देने का कष्ट ना करे वरना ये दरिया दिली आपके लिए मुसीबत बन सकती है...
जी हां आजकल ऐसे ट्रैंड भिखारियों के गैंग चल रहे है जो आपसे खाना मांगते है और ज्यों ही उनका कोई सदस्य उस में से कुछ खाता है वो मुंह से जाग निकाल के तड़पने का नाटक करने लग जाता है और गिरोह के अन्य सदस्य मारपीट पे उतर आते है और पुलिस केस में फ़ंसाने की धमकियां देते है। इनकी सेटिंग वहां के पुलिस वालों से भी होती है और आप से जबरन एक मोटी रकम वसूल सकते है...अच्छा होगा कि आप बचा हुआ खाना किसी कुत्ते को डाल दे।


अगर आप रात में गाड़ी चला रहे हैं और कोई आपके WINDSCREEN पर अंडे फेंके तो कार की जांच के लिए रोकें नहीं, वाइपर संचालित भी ना करें और किसी भी तरह का पानी विंडस्क्रीन पे ना डाले, क्योंकि अंडे के साथ मिश्रित पानी दूधिया बन जाता है और आपकी दृष्टि को 92.5% तक के लिए ब्लॉक कर देता है और फिर आपको मजबूरन गाडी को सड़क के बगल में बंद करना पड़ता है और फिर आप पहले से घात लगाये बैठे अपराधियों का शिकार बन जाते है। यह एक नई तकनीक है इसका प्रयोग आजकल हाईवे पे अपराधिक गिरोहो द्वारा किया जाता है कृपया अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को जरुर सूचित करें।

पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करके जागरूकता फैलाएं।.

                B.S. Bassi
           Police Comm
                S. K singh
            All India crime
             (9426189079)
कृपया send करने मेँ
कँजूसी न करे
मित्रो.... सोचो ये मेसेज
सब तक
पहुँचाना कितना जरूरी है !
आपके
सिर्फ send
करने से आपके सब दोस्त
भी इसे पढ सकते
है.. 👏👏
[9:50 PM, 5/2/2018] +91 95211 90727: राना बाई द रियल नेचुरल चमत्कार

#मारवाड़कीतीसरी_मीरां

मारवाड़ (जोधपुर) के नागौर जिले में एक तहसील है मार्बल सिटी मकराना ....

मकराना से सटा हुआ एक छोटा सा कस्बा है बोरावड़ ....

मारवाड़ (जोधपुर) नरेश को एक वार मुगलों से युद्ध लड़ने कर्णावती (अहमदाबाद गुजरात) जाना था .... तो मारवाड़ नरेश ने रियासत के सब ठाकुरों जागीरदारों मनसबदारों को भी युद्ध मे सम्मिलित होने का आदेश भेजा ....

बोरावड़ के ठाकुर राजसिंह जी भी मारवाड़ नरेश की तरफ से युद्ध लड़ने को गुजरात मय सेना रवाना हुए ....

........................ ठाकुर राजसिंह जी द्वारा कुच करते समय नागौर (मारवाड़) जिले की परबतसर तहसील में एक गांव पड़ा .................. हरनावा ....

........................ हरनावा की राणा बाईसा की ख्याति ठाकुर राजसिंह जी ने सुनी थी इसलिए वो राणा बाईसा के दर्शन करने उनके घर गए .... राणा बाईसा उस वक़्त गोबर की थेपड़ियाँ (उपले) थाप रही थी .... ठाकुर राजसिंह जी ने राणा बाईसा को हाथ जोड़ते हुए अभिवादन किया और बोले बाईसा इस युद्ध में मेरी विजय तो हो जाएगी ना ?? ....

राणा बाईसा ने अपने गोबर से भरे हाथों का पंजा ठाकुर राजसिंह जी की पीठ पर छाप दिया ................ देखते ही देखते राणा बाईसा का वो गोबर भरा पंजा केसरिया रंग में बदल गया .................. राणा बाईसा ने कहा .... हुकुम जब तक ये कुर्ता पहन के रखोगे आपको युद्ध मे कोई पराजित नहीं कर सकता ....................... ठाकुर राजसिंह जी ने भी राणा बाईसा को वचन दिया कि मैं युद्ध से लौटते ही सबसे पहले पुनः आपके दर्शन करूँगा ....

ठाकुर राजसिंह जी ने वो कुर्ता पहन के मुगलों के खिलाफ युद्ध लड़ा और विजय हुए ....

किंतु ....

युद्ध से लौटने के पश्चात ठाकुर राजसिंह जी अपना वचन भूल गए ........... राजसिंह जी की सेनायें जब पुनः बोरावड़ के गढ़ में प्रवेश करने लगी तो हाथी पे बैठे राजसिंह जी का हाथी बोरावड़ के गढ़ की पोल (द्वार) में प्रवेश नहीं कर पाया ............ लाख जतन कर लिए .... पर हाथी गढ़ के अंदर प्रवेश नहीं कर पा रहा था .... तब राजसिंह जी को अपना राणा बाईसा को दिया वचन याद आया ....

राजसिंह जी तुरंत उल्टे पाँव हरनावा गए और राणा बाईसा के दर्शन किये .... राणा बाईसा ने भी ठाकुर राजसिंह जी को माफ कर दिया ....

राणा बाईसा का पंजा छपा राजसिंह जी का कुर्ता आज भी बोरावड़ (मकराना) गढ़ में विधमान है ....

.................................................. राणा बाईसा का जन्म 1504 में मारवाड़ (जोधपुर) के मेरे ही नागौर जिले की परबतसर तहसील के हरनावा ग्राम में .... चौधरी जालमसिंह जी धूण (जाट) की पुत्री के रूप में हुआ था ....

................................................... राणा बाईसा भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थी .... राणा बाईसा का जन्म भी मीरा और करमा की तरह मेरे ही जिले नागौर (मारवाड़/जोधपुर) की धरती पर हुआ था ...................................... राणा बाईसा को जाट वीरांगना .... प्रसिद्ध लोक-कवयित्री का दर्जा भी प्राप्त है .................. राणा बाईसा के गुरु संत चतुर दास जी (खोजी जी महाराज) थे ....

राणा बाईसा ने हमारी लोकभाषा मारवाड़ी में अनेक कविताओं भजनों की रचना की जो विश्व-विख्यात है ....

.............................................................. राणा बाईसा के रूप और सौंदर्य के चर्चे दूर दूर तक फैले थे .... किंतु राणा बाईसा ने जीवन पर्यंत अविवाहित रहने का प्रण लिया ...................... राणा बाईसा के रूप सौंदर्य के चर्चे सुन के एक वार मुगल सेनापति ने राणा बाईसा से विवाह हेतु 500 सैनिकों की टुकड़ी ले के हरनावा ग्राम पर चढ़ाई की .... किंतु राणा बाईसा ने अपनी भक्ति के पुण्य प्रताप से मुगल सेनापति सहित 500 मुगल सैनिकों को गाजर मूली की तरह काट दिया ....

....................................................... राणा बाईसा के पिता चौधरी जालमसिंह एक वार नागौर जिले की जायल तहसील के खिंयाला ग्राम से लगान ले के लौट रहे थे .... रास्ते मे जालमसिंह जी को गैछाला नामक ग्राम के तालाब के भूतों ने घेर लिया .... भूतों ने जालमसिंह जी से उनकी बेटी राणा बाईसा का विवाह भूतों के सरदार बोहरा भूत से करने को कहा ....

डर और भय के कारण जालमसिंह जी ने राणा बाईसा के विवाह का भूतों द्वारा दिया प्रस्ताव स्वीकार कर लिया ....

आंधी और तूफान के रूप में भूतों की बारात राणा बाईसा के घर पहुंची ....

किंतु राणा बाईसा के सत्तित्व तप भक्ति और बल के प्रभाव से भूतों की बारात उल्टे पाँव भाग खड़ी हुई ....

............................................. 1570 में राणा बाईसा ने अपने ग्राम हरनावा तहसील परबतसर जिला नागौर मारवाड़ (जोधपुर) में जीवित समाधि ले ली ....

समाधि लेते वक्त राणा बाईसा के ओढ़नी की एक हाथ जितनी कोर जमीन से बाहर रह गयी थी ....

.......................................... 448 वर्षों से राणा बाईसा की ओढ़नी की वो कोर ज़स की तस आज भी वैसे ही पड़ी है .... हज़ारों लाखों आंधियों तूफानों बरसातों बिजलियों सर्दी गर्मी का सामना करने के बाद भी राणा बाईसा की ओढ़नी की कोर का ना रंग फीका पड़ा है .... ना ओढ़नी का कपड़ा सड़ा गला है ....

नागौर जिले की मकराना डेगाना परबतसर पट्टी में आज भी उधोग-धंधों .... दुकानों-प्रतिष्ठानों .... मार्बल की खानों गोदामों .... टूर ट्रेवल्स एजेंसीज के नाम राणा बाईसा के नाम पर ही होते हैं ....

शुक्ल मास की त्रयोदशी को राणा बाईसा का विशाल मेला भरता है ....

राणा बाईसा की समाधि पर प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु आकर हाजिरी देते हैं ....

राणा बाईसा मंदिर के मुख्य पुजारी अभी श्री रामाराम धूण (जाट) हैं ....

..................................... राणा बाईसा की जन्मभूमि के दो जांबाजों ने 1990 में श्री रामकरण थाकण ने कश्मीर में और 1999 में श्री मंगेज सिंह राठौड़ ने कारगिल सेक्टर में देश को अपना सर्वोच्च बलिदान देकर .... सर्वोच्च सैन्य सम्मान प्राप्त किया है !!!! ....

🙏कीरती कुमार जैन
मान्यता मार्बल बोरावड़ रोड़ मकराना
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